एम.डी.एच वाले दादाजी को तो हम सब जानते ही है आइए आज उनसे जुड़े कुछ तथ्य भी जान लेते है
MDH mashale
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महाशय धर्मपाल गुलाटी |
एम. डी. एच. वाले दादा जी का पूरा नाम महाशय धर्मपाल गुलाटी है यह एक भारतीय व्यापारी हैं जो अपने व्यापार से बहुत प्रसिद्ध हो गए है, इनको हम सभी ''एमडीएच" वाले 'दादाजी' व 'मसाला किंग' के नाम से जानते हैं ।
यह दादा जी M.D.H. के मालिक है और सीईओ भी हैं एमडीएच का फुलफॉर्म "महाशियान दी हट्टी" है ।
आइये जानते हैं उनके बारे में कुछ रोचक तथ्य :-
गुलाटी जी जन्म 27 मार्च 1923 में हुआ था, गुलाटी जी का जन्म पाकिस्तान के सियालकोट में हुआ था, उनके पिता जी की दुकान थी एक छोटी वहां। पर जब 1947 में विभाजन हुआ उसके बाद उनका परिवार भारत आ गया अब भारत के दिल्ली में रहते है ये। 1953 में, गुलाटी जी ने चांदनी चौक में एक दुकान किराए पर ली, जिसका नाम महाशियान दी हट्टी (एमडीएच) रखा गया था, महाशियान दी हट्टी पर अनाज बेचना शुरू किया। उसके बाद इनका व्यापार दिन दोगुनी तरक्की की ओर चल पड़ा कुछ सालों की मेहनत के बाद पूरे भारत में उनका व्यापार न केवल फल-फूल रहा था, बल्कि वह एक वितरक और निर्यातक भी बन गए थे। इस दिन तक, उनके मसाले दुनिया के विभिन्न हिस्सों में निर्यात किए जाते हैं, जिसमें यूके, यूरोप, यूएई, आदि शामिल हैं।
एम डी एच वाले दादा जी की सेहत का राज उनकी रोजाना की दिनचर्या में हैं वह रोजाना सुबह 4:30 बजे उठकर व्यायाम करते है। अपनी सेहत का खयाल रखते हैं ।
गुलाटी जी एमडीएच के 80% मालिक है और अपने कारखाने और बाजारों का खुद भी दौरा करते रहते हैं ताकि वह खुद से जां सके कि क्या हाल है उनके कारखाने का, और बाजार में कैसा चल रहा है उनका प्रोडक्ट्स यह जानकारी भी रखते हैं ।
आज भी गुलाटी जी ही सारे फैसले लेते है उनके व्यापार के, और ईमानदारी से काम करते है,वह अपने उत्पादों में अच्छी गुणवत्ता को के मसाले रखते है। उनका मानना है कि अच्छी गुणवत्ता के मसाले लोगो को किसी तरह से हानि नहीं पहुंचते ओर अच्छे होते है सेहत के लिए।
वह करोल बाग में चप्पल या जूते नहीं पहनते हैं और इसे अपने लिए एक शुभ स्थान मानते हैं।
गुलाटी जी के बारे में एक और दिलचस्प तथ्य यह है कि वह अपनी वेतन का आधे से भी ज्यादा इनकम को चैरिटी मे देते है. उनके पिता जी के नाम पर एक धर्मार्थ ट्रस्ट है, जो झुग्गियों में रहने वालों के लिए 250 बेड का अस्पताल चलाता है और कम विशेषाधिकार प्राप्त चार अन्य स्कूल चलाता है।
आज एम डी एच वाले दादा जी को बच्चा-बच्चा जानता है और उनके मसालों का पूरे भारत में उपयोग होता है। साथ ही साथ वह बड़े पैमाने में भारत से माल विदेश भी पहुंचते है।
महाशय धर्मपाल गुलाटी
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